Excerpt
रैदास पहले पद का आशय (व्याख्या/ भावार्थ): प्रभु जी,अब हमारे मन में आपके नाम रट लग गई है, वह कैसे छूट सकती है? प्रभु जी,तुम चंदन हो और मैं पानी हूं। तुम में और मुझ में वही संबंध स्थापित हो चुका है जो चंदन और पानी में होता है। जैसे चंदन के संपर्क में रहने से पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है, उसी प्रकार मेरे तन-मन में तुम्हारे प्रेम के सुगंध व्याप्त हो गई है। प्रभु जी, तुम आकाश में छाए काले बादलों के समान हो। मैं जंगल में नाचने वाला मोर हूं। जैसे वर्षा बरसाते बादलों को देखकर मोर खुशी से नाचने लगते