कविता- प्रेम-पत्र
मेरे प्रिय प्रेमी लिखना चाहती हूं ढेर सारी बातें,पर लिखा न पाती एक तिनका अक्षर । क्यों.... समझ न पाती? क्या पत्र के द्वार से बाहर निकालनेवाला है प्रेम? नहीं... आँखों में फँसकर मन पर लिपटकर साँस में व्याप्तवाला है प्रेम इसलिए मेरे प्रिय प्रेमी लिखना चाहती हू ढेर सारी बातें_ पर लिखा न पाती एक तिनका... Sign in to see full entry.